आज के समय में प्रत्येक माता-पिता यह चाहते हैं कि उनके बच्चे न केवल स्कूली विद्या में ही सफल हों, अपितु अन्य कलाओं जैसे खेलकूद, व्यक्तित्व आदि तथा विभिन्न सामाजिक प्रवृत्तयों में भी आगे आयें और सफल बनें। विद्यालय में शिक्षक एवं प्रधानाचार्य भी अपने विद्यार्थियों से अपेक्षा रखते हैं कि उनकी बुद्धि कुशाग्र बने एवं वे परीक्षा में अच्छे परिणाम लायें ताकि समाज में उनकी संस्था का गौरव बढ़े। किंतु दुर्भाग्य की बात है कि आज पाश्चात्य संस्कृति के अन्धानुकरण के दौर में विदेशी टी.वी. चैनलों, चलचित्रों, व्यसनों, अशुद्ध खान-पानआदि ने वातावरण इतना दूषितबना दिया है कि हमारे बच्चे अगर जीवन में अच्छे संस्कार पाना भी चाहें तो उन्हें ऐसी कोई राह ही नहीं दिखती, जिस पर चलकर वे सुसंस्कारी बन सकें।
भारत का सर्वांगीण विकास व उज्जवल भविष्य सुसंस्कारी बालकों, चरित्रवान एवं संयमी युवाओं पर आधारित है। अपने देश के विद्यार्थियों में सुसंस्कार सिंचन हेतु, उनका विवके जाग्रत करने के लिये एवं उनके जीवन को संयमी, सदाचारी, स्वस्थ व सुखी बनाकर उनके सुंदर भविष्य निर्माण हेतु सेवाभारती मध्यभारत द्वारा प्रान्त में संस्कार केन्द्रों का संचालनकियाजारहाहै।
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